History behind Sunday in Hindi | आखिर रविवार के दिन ही छुट्टी क्यों होती है?

History behind Sunday in Hindi | Sunday की छुट्टी की शुरुआत कब से हुई?

हम सभी को Sunday का दिन बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि इस दिन छुट्टी होती है. रविवार का दिन वैसे तो सभी को प्रिय होता है पर विशेष रूप से यह उन लोगो को सबसे ज्यादा प्रिय होता है जो लोग जॉब करते है. 6 दिन काम करने के बाद हम को एक दिन एसा मिलता है जिसे हम अपनी मर्ज़ी से जी सकते है,  बाकी के 6 दिन अपने काम में पता नहीं कहा चले जाते है.
विश्व के ज्यादातर देशों में 5 days working होता है और Saturday and Sunday को holiday के रूप में मनाया जाता है. लेकिन सबसे पहले रविवार को ही छुट्टी के रूप में Declare किया गया था. अब सवाल आता है की सप्ताह में तो 7 दिन होते है तो सिर्फ और सिर्फ रविवार को ही छुट्टी के लिए क्यों चुना गया? इसी लिए आज के आर्टिकल में में आपको बताने वाला हु की आखिर रविवार के दिन ही छुट्टी क्यों होती है? रविवार की छुट्टी की शुरुआत कैसे हुई? भारत में Sunday को holiday कब से जाहिर किया गया था. History behind Sunday in Hindi
आखिर रविवार के दिन ही छुट्टी क्यों होती है? | Do you know the History behind Sunday as a Holiday ?

History behind Sunday in Hindi – जानिए क्यों रविवार को ही मनाया जाता है Holiday?

रविवार की छुट्टी को लेकर सबका अलग-अलग मंतव्य है. भारत में रविवार की छुट्टी अलग कारन से दी गई थी और पुरे विश्व में इसका कारन अलग था. पहले जानते है की इसकी शुरुआत कहाँ से हुई थी.
अगर बात करे ईसाई धर्म के अनुसार तो ईसाई धर्म के लोग एसा मानते है की जब भगवान इस दुनिया को बना रहे थे तब उन्होंने लगातार 6 दिन तक काम किया था तब जाकर यह धरती बन पाई थी. इतना काम करते-करते वो थक गए थे जिसके कारन उन्होंने 7 वे दिन आराम करने का फैसला किया. यह 7 वाँ दिन ही रविवार था. इस वजह से वो लोग सप्ताह के आखिरी दिन यानि की रविवार को holiday के रूप में मनाने लगे.

भारत में Sunday की छुट्टी कब शुरू हुई?

यह तब की बात है जब भारत अंग्रेजों का ग़ुलाम था. उस दौरान ब्रिटिश सरकार सभी काम भारत के मज़दूरों से करवाते थे. इन मज़दूरों को एक भी दिन छुट्टी नहीं मिलती थी और लगातार काम करना पड़ता था जबकि ब्रिटिश के सरकारी अफसरों को रविवार की छुट्टी दी जाती थी. ब्रिटिशो के इन्ही ज़ुल्म के कारन मज़दूरों के यूनियन लीडर “नारायण मेघाजी लोखंडे” ने ब्रिटिश सरकार को हप्ते के आखिरी दिन छुट्टी रखने की दरखास्त की लेकिन अंग्रेजी हुक़ूमत ने यह फरमान ठुकरा दिया.
जब ब्रिटिश सरकार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया तब “नारायण मेघाजी लोखंडे” मजदुर भाईओ को साथ लेकर लगातार 7 सालों तक संघर्ष किया तब जाकर  ब्रिटिश सरकार ने 10 जून 1880 के दिन रविवार को छुट्टी का दिन घोषित किया.
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