वैसे तो चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में भारत का हर एक नागरिक जानता है लेकिन उनके जीवन के बारे में बात करना एक रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी ही है. चंद्रशेखर आजाद का नाम जन्म के समय पंडित चंद्रशेखर सीताराम तिवारी था लेकिन जब वो शहीद हुए उस वक्त उनका नाम चंद्रशेखर आजाद था. चलिए जानते है भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में कुछ रोचक तथ्य.
1. चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 में मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा गाँव में हुआ था और 27 फरवरी 1931 को इलाहबाद के अल्फ्रेड पार्क में वो शहीद हुए थे. उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था.
2. जिस जगह पर चंद्रशेखर आज़ाद शहीद हुए थे उस जगह को अब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क के नाम से जाना जाता है.
3. बचपन से ही चंद्रशेखर आज़ाद को अंग्रेजो के प्रति नफरत थी और भारत की आज़ादी के लिए लड़ना चाहते थे. जब वे सिर्फ 14 साल के थे तभी से उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में भाग लेना शुरू कर दिया था. उस वक्त सन 1921 में गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन चलाया जा रहा था तब केवल 14 साल के चंद्रशेखर ने उस आन्दोलन में हिस्सा लिया था और अंग्रेजो ने उनको गिरफ्तार कर लिया.
4. जब चंद्रशेखर आज़ाद को कोर्ट में जज ने पूछा की तुम्हारे पिता का नाम क्या है तब चंद्रशेखर ने जवाब दिया की ” मेरा नाम आज़ाद है, मेरे पिता का नाम स्वतंत्रता है और मेरा निवास जेल है.” इस घटना के बाद चंद्रशेखर आज़ाद भारतभर में आज़ाद के नाम से पुकारे जाने लगे.
5. सन 1921 तक चंद्रशेखर आज़ाद गांधीजी के रस्ते पर ही चलना चाहते थे लेकिन सन 1922 में गांधीजी ने अचानक से असहयोग आन्दोलन बंद कर लिया तभी से उनकी विचारधारा बदल गई और उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया.
6. असहयोग आन्दोलन बंद होने के बाद चंद्रशेखर आज़ाद हिंदुस्तान रिपब्लिक पार्टी के सदस्य बन गए और आगे चलकर इस पार्टी के कमांडर इन चीफ भी बने.
7. हिंदुस्तान रिपब्लिक पार्टी के सदस्य बनने के बाद 9 अगस्त 1925 में राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में उन्होंने काकोरी कांड को अंजाम दिया और गिरफ्तारी से बचकर वहाँ से फरार हो गए.
8. जब जलियावाला बाग़ का हत्याकांड हुआ तब आज़ाद पूरी तरह से अस्त्व्यस्थ हो गए और उन्होंने ब्रिटिशो से बदला लेने की ठान लि. इसके लिए वो रूस जाकर स्टालिन से मदद लेना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने जवाहरलाल नहेरु से 1200 रुपए की मांग की थी लेकिन उनको कोई मदद नहीं मिली.
9. चंद्रशेखर आज़ाद आजीवन अंग्रेजो के हाथ नहीं लगे थे. उन्होंने 10 साल तक अंग्रेजो को चकमा दिया था लेकिन एक बार किसी अंग्रेज के दलाल ने झाँसी के पास का चंद्रशेखर आज़ाद का ठिकाना बता दिया लेकिन वहाँ से चंद्रशेखर ने स्त्री के वस्त्र पहेनकर अंग्रेजो को चकमा दे दिया.
10. 17 नवम्बर 1928 को लाला लाजपत राय की हत्या कर दी गई जिसके कारन भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद बोखला गए और उन्होंने सांडर्स की हत्या करने का फैसला कर लिया. उन ही दिनों भगतसिंह और चंद्रशेखर आज़ाद एक दुसरे के करीब आए.
11. लाला लाजपत राय की हत्या के ठीक एक महीने बाद यानि की 17 नवम्बर 1928 के दिन चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव ने मिलकर अंग्रेज ऑफिसर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया और लाला लाजपत राय की हत्या का बदला ले लिया.
12. एक तरफ गांधीजी अंग्रेजो के सामने अहिंसा को हथ्यार बनाकर आज़ादी पाना चाहते थे वही दूसरी तरफ भगतसिंह और चंद्रशेखर आज़ाद दोनों यह समजते थे की इन ब्रिटिशो को मार-मारकर ही देश से भगाया जा सकता है.
13. सांडर्स की हत्या के बाद अंग्रेज सरकार चंद्रशेखर आज़ाद के पीछे ही पड़ गई पर वो कभी भी उनके हाथ में नहीं लगे. उन्होंने प्रतिज्ञा की थी की वो जीते जी ब्रिटिशो के हाथ नहीं लगेगे.
14. चंद्रशेखर आज़ाद हमेशा अपने साथ एक माउजर रखते थे जो एक तरह की आटोमेटिक पिस्टल है. यह पिस्टल आज भी इलहाबाद के म्यूजियम में रखी गई है.
15. एक बार चंद्रशेखर आज़ाद इलहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में थे उस वक्त किसी गद्दार ने अंग्रेजो को उनका ठिकाना बता दिया जिसके चलते चारो तरफ से अंग्रेजो ने उनको घेर लिया और गोलिया चलाना शुरू कर दिया. चंद्रशेखर आज़ाद ने भी सामने गोलिया चलाना शुरू कर दिया और जब उनके पास एक ही गोली बची तो स्वयं को गोली मार ली और जिन्दा अंग्रेजो के हाथ ना आने के अपने प्रण को निभाया.
16. अंग्रेज के पुलिस ऑफिसर चंद्रशेखर आज़ाद से उतने डरते थे के उनके शहीद हो जाने के बाद भी उनके निकट जाने से गभराते थे. इसके कारन उन्होंने पहेले ढेर सारी गोलिया चंद्रशेखर आज़ाद के मृत शरीर पर चलाई और उसके बाद ही उनके निकट गए.
17. इलहाबाद के जिस पार्क में चंद्रशेखर आज़ाद का निधन हुआ उस पार्क का नाम भारत की आजादी के बाद चंद्रशेखर आज़ाद पार्क रख दिया गया है.
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