दिवाली का त्यौहार हमारे देश के लिए और देश के बहार रहेने वाले सभी भारतीय लोगो के लिए काफी महत्वपूर्ण है. हर साल सभी भारतीय दिवाली के इस पर्व को बड़े ही धूम-धाम से मनाते है फिर चाहे वो दुसरे देश में ही क्यू ना रहेते हो.
दिवाली के त्यौहार की शुरुआत तो धनतेरस के दिन से ही शुरू हो जाती है, लेकिन क्या कभी ने यह सोचा की हर साल हम लोग दिवाली क्यों Celebrate करते है? इसके पीछे की क्या कहानी है? इसका क्या महत्त्व है ? तो चलिए आज इस आर्टिकल के माध्यम से जानते है की हमारे यहाँ हर साल क्यों मनाई जाती है दीपावली?
अलग अलग धर्म में दिवाली मनाने के पीछे का कारन
दिवाली का त्यौहार हर साल कार्तिक मास के अमावस्य के दिन मनाया जाता है ज्सिमे अलग-अलग प्रान्त के समूह हिस्सा लेते है और इस दिवाली के पर्व को अपने हिशाब से मनाते है. सभी धर्म के लोगो में इस त्यौहार के पीछे अलग-अलग कहानिया छुपी है तो आइए जानते है सभी के बारे में.
हिन्दू में दिवाली का महत्व:-
आज ही के दिन प्रभु श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण सहित अयोध्या वापिस लौटे थे, इसी खुसी के कारन उस रात पूरी अयोध्या नगरी के हर घर में लोगो ने दिए जलाए थे. पूरी नगरी दीपक से जगमगा रही थी क्यूंकि अंधकार पर उजाले ने विजय प्राप्त की थी. इसी दिन से आज तक दिवाली का त्यौहार धाम-धूम से मनाया जाता है.
दूसरी एक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था जो स्त्रीओ को बंदी बनाकर अपने पास ले जाता था. जिसके कारन भगवान श्री कृष्ण ने इस राक्षस कस संहार करके प्रजा को बचाया था, वो दिन था चतुदासी जिनको हम नरक चतुर्दसी या छोटी दिवाली के नाम से भी जानते है. जिसके कारन आज तक दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है.
जैन में दिवाली का महत्त्व:-
जैन मतावलंबियों के अनुसार आज ही के दिन महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी इसी लिए पूरा जैन समुदाय दिवाली को महावीर स्वामी निर्वाण दिवस के रूप में बड़े धूम धाम से मनाते है.
सीखो की दिवाली का महत्त्व:-
मुग़ल बादशाह जहाँगीर ने सीखो के छठे धर्मगुरु, गुरु हरगोविंद साहिब को बंदी बनाकर कैद किया था जहाँ पहेले से ही 52 हिन्दू राजा कैद में थे. जब साईं मिया मीर ने जहाँगीर को गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा करने के लिए मनाया तब वो मान गया पर गुरु हरगोविंद साहिब ने अकेले रिहा होने से मना किया और बाद में उन 52 राजाओ सहित गुरु हरगोविंद साहिब को रिहा कर दिया वो दिन कार्तिक मास की अमावस्य.
इसी खुसी में सिख समुदाय हर साल इस पर्व को बड़े उल्लास के साथ मनाते है. सिख लोग दिवाली को “दाता बंदी छोड़ दिवस” के नाम से जानते है.
चलिए जानते है भारत के अन्य हिस्सों में दिवाली को केसे मनाते है:-
- उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में इस त्यौहार को काली पूजा के नाम से मनाते है.
- मथुरा में दिवाली को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है.
- बिहार और झारखंड में दिवाली के मौके पर होली जैसा माहोल होता है. यहा पर भी अधिकांस क्षेत्रो में महाकाली की पूजा की जाती है.
- गुजरात सहित पश्चिम भारत के ज्यादातर राज्य में दिवाली के त्यौहार की शुरुआत धनतेरस से ही शुरू हो जाती है. यहाँ पर लोग दीपक, लक्ष्मी पूजन और पटाखे जला कर दिवाली के पर्व को मनाते है. यहाँ पर भी दिवाली को 5 दिनों तक मनाया जाता है.
- इसके अलावा गुजरात में दिवाली को नए साल के रूप में भी मनाई जाती है, दिवाली के दुसरे दिन गुजरातीओ के नए साल का प्रारम्भ होता है.
- महाराष्ट्र में दीपावली का त्यौहार 4 दिनों तक चलता है. यहाँ पर दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन करने का रिवाज है मगर इससे पहेले करंजी, चकली लड्डू, सेव जैसे व्यंजन बनाए जाते है.
- उत्तर भारत के ज्यादातर राज्य के लोग दिवाली को भगवान श्री राम की विजय और श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गई नइ परम्परा के कारन मनाते है.
- दक्षिण भारत के राज्य ही भारत के एसे राज्य है जिन्होंने आज भी भारतीय संस्कृति को पकडके रखा है और यह बहोत ही खुसी की बात है. यहाँ पर नरक चतुर्दसी का खास महत्त्व है. यहा पर दिवाली का त्यौहार 2 दिनों का होता है.
- मध्यभारत के लोग दिवाली की शुरुआत नरक चतुर्दसी से करते है और खत्म भाई दूज के साथ करते है. यहाँ पर भी 5 दिनों तक दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है.
- हम लोग दिवाली के त्यौहार को दीपक जलाकर मनाते है. हमारी भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य,ज्ञान और प्रकास का द्योतक माना जाता है. दीपक खुद जलता है पर दुसरो को प्रकाश दिलाता है. इससे हमको यह सिख मिलती है हमेशा दुसरो की मदद करनी चाहिए और सही मार्ग दिखाना चाहिए.
- दिवाली से पर्व से हमको यह सिख भी मिलती है की हमको हमारे जीवन से अंधकार के शत्रुओ को निकाल क्र प्रकाश को आने देना चाहिए ताकि हम अपने जीवन में एक खुसाल जीवन जी सके.
- भगवान महावीर स्वामि ने भी खुद अपना जीवन दुसरो की खुसी के लिए खर्च क्र दिया था, ताकि आने वाले लोग अच्छी तरह से जीवन जी सके.
- अंधकार के कारन हमारे जीवन में इर्षा, अहंकार जैसे शत्रु घर कर के बैठ जाते है जिनके कारन हमारे आपसी संभंध बिखर रहे है, एसे दिवाली का पर्व हमको यही समजाता है की यह सभी दुर्गुणों को निकालकर फैकदेना चाहिए है और सभी को आदर की भावना से देखना चाहिए.
- दीपावली के मौके पर हम सभी अपने घर की और ऑफिस की साफ़ सफाई करते है पर हमारे दिमाग में मोजूद कचरे को साफ़ नहीं करते है. यह त्यौहार हमको आपस में एक दुसरे के साथ सभी तरह के राग-द्वेष को त्यागकर रहेने की सिख देता है.
- कुल मिलाकर देखा जाए तो दिवाली का यह त्यौहार हमको सही मात्र में इन्सान बनने की प्रेरणा देता है.