Why Do We Sneeze | हमें छींक क्यों आती है और सोते समय क्यों नहीं आती

हमें छींक क्यों आती है | Why Do We Sneeze | Science Behind Sneezing

Sneeze यानि की छींक सभी को आती है. यह अचानक आती है और इस पर कंट्रोल करना मुश्किल होता है. छींक को लेकर हमारे यहाँ बहोत अंधविश्ववास है, कुछ लोग छींक को अपशकुन मानते हैं और कुछ लोग इसे अच्छा मानते है. लेकिन इसके पीछे का विज्ञान बिलकुल ही अलग है.

Why Do We Sneeze | Science Behind Sneezing

क्या आपने कभी सोचा है की जागृत अवस्था में ही छींक क्यों आती है? सोते वक्त क्यों नहीं आती है? आखिर छींक आती ही क्यों है? Why Do We Sneeze? चलिए जानते है छींक आने की वजह के बारे में.
  1.  हमें छींक क्यों आती है (Why Do We Sneeze)
  2.   छींक आने का कारन (Cause Of Sneeze
  3.   छींक काम किस तरह से करती है?
  4.    छींक आने पर हवा की गति (Air speed while sneezing)
  5.    हमे नींद में छींक क्यों नहीं आती है (why don’t wewe sneeze during sleeping
  6.    छींक रोकने से हो सकते हैं यह नुकसान

हमें छींक क्यों आती है Why Do We Sneeze | Science Behind Sneezing चलिए जानते है विस्तार से.

हमें छींक क्यों आती है (Why Do We Sneeze)

हमें छींक आना एक normalएक शारीरिक प्रक्रिया है इसका कोई भी बुरे या अच्छे प्रभाव के साथ कोई लेना देना नहीं है. कई लोग इसे बुरा मानते है और इस वजह से कई बार अपनी छींक को आने से रोक भी लेते हैं तो ऐसा मत कीजिये. छींक आना एक सहज प्रक्रिया है जिसे ज़बरदस्ती रोकने से आपके शरीर को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है तो सबसे पहले अंध विश्वास से बहार आये वरना अंध विश्वास करने के लिए आप जीवित ही नहीं बचोगे.

छींक आने का कारन (Cause Of Sneeze)

·        तापमान में अचानक आने वाली ठंडक से भी छींका आती है, ठंडी हवा लगने से छीक आ सकती है.
·        नाक में बाहरी कण जाने के कारण छींक आने लगती है जिस में धूल के कण, पराग कण, या पशु की रुसी आदि हो सकते हैं.
·        सर्दी जुकाम होने पर नाक की झिल्ली में सूजन आने से नाक ज्यादा संवेदनशील हो जाती है और छींक आने लगती है.
·        एलर्जी के कारण भी यह हो सकता है.
·        एकदम से चमकीली रोशनी में आने पर या सूरज की तरफ देखने पर भी छींक आने लगती है.

सामान्य रूप से ये माना जाता है कि छींक आने का कारण सर्दी-जुकाम होना या किसी तरह की एलर्जी होना है लेकिन छींक आने का वास्तविक कारण सिर्फ इतना ही नहीं है बल्कि छींक हमारे शरीर की रोग प्रतिकारक क्षमता का एक हिस्सा है. इसकी वजह से जब भी हमारे नाक में कुछ भी कचरा जाता है तो छींक इस कचरे को वहा से ही बहार फेकता है और हमारे फेफड़ो तक नहीं पहोचने देता है.
छींक काम किस तरह से करती है?
जब भी हमारे नाक में कोई कचरा या कान घुस जाता है तब हमारे नाक में खुजली होने लगती हे और यह संदेश हमारे मष्तिक तक पहोचता है. मष्तिक इस कणों को बहार निकालनेका आदेश शरीर की मांसपेशियों को देता है और शरीर की मांसपेशियों के जरीये शरीर का हर हिस्सा आपसमे एक जुथ होकर कम करते है और छींक के जरिये कचरा बहार निकालदेते है.
आपको जानकर हेरानी होगी की छींक की प्रकिया के लिए पेट, छाती, डायफ़्राम, गला और आँखें, ये सभी अंग मिलकर एक साथ काम करते हैं और छींक के जरिये कचरा बहार निकल फेंकते है.

हमें छींक क्यों आती है | Why Do We Sneeze | Science Behind Sneezing

छींक आने पर हवा की गति (Air speed while sneezing)

सामान्य स्थिति में हम जब भी साँस लेते या छोड़ते है तब हवा की गति लगभग 7 km/घंटा होती है. छींकते समय हवा की गति लगभग 150 km/घंटे की हो जाती है. इस तेज हवा के कारण करीब 1 लाख कीटाणु हवाके साथ बहार निकल जाते है.

 

हमे नींद में छींक क्यों नहीं आती है (why don’t wewe sneeze during sleeping)

जब हम जागृत अवस्था में होते हैं तब हवा में मौजूद कण नाक के अन्दर मौजूद नर्व सेल्स को उत्तेजित कर देते हैं. यहाँ से नर्व सेल्स द्वारा दिमाग को छीक लाकर बाहरी कणों को हटा कर साफ करने का संकेत मिलता है जिसकी वजह से शरीर की प्रकिया शुरू हो जाती हे लेकिन जब हम नींद में होते है तब हमारा दिमाग सभी संकेतो की अवर-जवर बंध कर देता है जिसकी वजह से शरीर की मांसपेसियो को छींक ने का आदेश नहीं मिलता है.
अब किसी के मन में सवाल आ रहा होगा की अगर शर्दी की वजह से नाक बंध हो गया हो तो? अगर एसा होता है तो नाक में ज्यादा प्रोब्लेम होने की वजह से सबसे पहेले आपकी नींद खुलती है और इसके बाद ही आपको छींक आती है.
छींक रोकने से हो सकते हैं यह नुकसान
·        छींक रोकने से शरीर से बाहर निकलने वाले बैक्टीरिया भी शरीर में ही रह जाते हैं जो सेहत को हानि पहुंचाते है जेसे की हमने बात की की छींक आने में पूरा शरीर एक जुट हो जाता है तो अगर छींक को रोका जाये तो यह सारे अंग पर इसका ख़राब अशर पड़ता है.
·        कई बार लोगों के बीच में होने की वजह से आप छींकने में संकोच महसूस करते हैं और छींक को आने से रोक लेते हैं लेकिन ऐसा करने से तेज़ दबाव के साथ नाक से हवा बाहर आने की बजाये दूसरे अंगों की ओर चली जाती है जिसका सबसे ज्यादा नुकसान कान के परदे को होता है.
·        इसका प्रभाव आँखों पर भी पड़ता है और गर्दन में मोच भी आ सकती है.
·        बार बार ऐसा करने से दिल का दौरा और दिमाग को क्षति जैसे भारी नुकसान भी उठाने पड़ सकते है.

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अब आप खुद ही सोचो की आपको छींक रोकनी है या फिर आने देनी है. मेने आपको छींक के बारे में पूरी जानकारी बतादी है तो में आशा करता हु की छींक के पीछे अंध विश्वास को निकालदो क्यूंकि यह भगवान ने ही हमारे शरीर को साफ रखने के लिए दी है.
उम्मीद है दोस्तों आपको हमें छींक क्यों आती है  और सोते समय क्यों नहीं आती
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