History of Chittorgarh in Hindi | चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास और रोचक तथ्य

Information about Chittorgarh in Hindi – भारत का सबसे विशाल किला : चित्तौड़गढ़

हमारे भारत में कई सारे किले ने इतिहास में अपना नाम रोशन करवा लिया है. एसा ही एक किला है Chittorgarh in Hindi का किला जो राजपूतो के साहस, शोर्य, वीरता और बलिदान का प्रतीक है. यह किला भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है.

चित्तौड़गढ़ भारत के राजस्थान राज्य का एक प्रमुख नगर है जो बेराच नदी के किनारे पर स्थित है. इस क़िले को पुरे भारत का गौरव माना जाता है. Chittorgarh in Hindi किले का निर्माण 7वि शताब्दी में मौर्य शासको ने किया था. यह किला लगभग 700 एकर जमीन में फैला हुआ है.

आज के इस आर्टिकल में हम इस महान किले के बारे में बात करने वाले है, उम्मीद है आपको यह जानकारी जरुर पसंद आएगी.

Information about Chittorgarh fort in Hindi आर्टिकल की शुरुआत करने से पहले जानते है चर्चा होने वाले मुद्दों के बारे में.

  1. चित्तौड़गढ़( Chittorgarh in Hindi) का इतिहास और निर्माण
  2. चित्तौड़गढ़( Chittorgarh in Hindi) पर हुए आक्रमण
  3. चित्तौड़गढ़ में हुए जौहर
  4. चित्तौड़गढ़ किले का सफ़र और प्रमुख रचना
  5. चित्तौड़गढ़ किले के बारे में रोचक तथ्य
चलिए अब जानते है सभी मुद्दों के बारे में विस्तार से.

चित्तौड़गढ़ का इतिहास और निर्माण

वैसे तो इस किले का निर्माण किसने और कब करवाया इसकी पूरी जानकारी नहीं है क्योंकि किवदंतियो के अनुसार इस किले का निर्माण महाभारत काल में आज से 5 हजार साल पहले हुआ था. वही कई सारे इतिहासकारों का मानना है की 7वि शताब्दी में मौर्यवंस के शासक चित्तरांगन मौरी ने 692 एकड में फैली पहाड़ी पर इस गढ़ का निर्माण किया था. इस विशाल किले को चित्रकूट नामक पहाड़ी पर बनाया गया था.
राजस्थान के मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अपनी ताकत और शौर्य से मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक को युद्ध में हराकर चित्तौड़गढ़ पर अपना अधिकार जमाया था. इसके बाद सन 724 में भारत के इस विशाल दुर्ग की स्थापना की.
इसके बाद मालवा राजा मुंज ने गुहिल राजवंश को परास्त करके इस किले पर अपना अधिकार जमा लिया और इसके बाद यह विशाल किला गुजरात के राजा सिद्धार्थ जयसिंह के अधीन रहा.
इसके बाद 12वि सताब्दी में एक बार फिर से यह किला गुहिल राजवंश के अधीन हो गया. इसके बाद 13वि शताब्दी में यह किला अल्लाउदीन खिलजी के अधीन हो गया. इस तरह से यह विशालकाय किला बारी-बारी अलग-अलग राजाओ के शासन के भीतर होता गया था.

चित्तौड़गढ़ पर हुए आक्रमण

भारत के इस विशाल किले पर समय-समय पर आक्रमण भी होते रहे थे. तो चलिए जानते है इस किले पर हुई प्रमुख आक्रमण के बारे में.

1. अल्लाउदीन खिलजी का आक्रमण – सन 1303

सन 1303 में अल्लाउदीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले पर चारों तरफ से आक्रमण कर दिया. क्योंकि इस किले के अंदर जाने के लिए 7 दरवाज़े पार करने पड़ते थे जिसे कोई भी भेद कर अन्दर नहीं आ सकता था इसी वजह से अल्लाउदीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले की चारों तरफ मैदान में अपना डेरा डाल दिया जिसके कारन चित्तौड़गढ़ में खाने की कमी आने लगी.
 
करीब 7 महीने के बाद मजबूर होकर युद्ध के लिए सामने आना पड़ा. इस युद्ध में राजा रावल रतन सिंह और उनके 2 बहादुर सेनापति गोरा और बादल शहीद हो गए. इस तरह अल्लाउदीन खिलजी ने इस किले पर अपना अधिकार जमा लिया.

2. बहादुर शाह का आक्रमण – सन 1535

एक बार फिर से इस किले पर आक्रमण हुआ. इस बार गुजरात के राजा बहादुर शाह ने इस किले पर आक्रमण किया और किले के राजा विक्रमजित सिंह को हराकर इस किले पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया.

3. मुग़ल बादशाह अकबर का आक्रमण – सन 1567

बहादुर शाह के आक्रमण से अभी यह किला पूरी तरह से खड़ा भी नहीं हुआ था और तभी कुछ सालों बाद सन 1567 में मुग़ल बादशाह अकबर ने Chittorgarh in Hindi किले पर हमला कर दिया. इस दौरान इस गढ़ पर महाराणा प्रताप के पिता महाराणा उदय सिंह का राज था.

महाराणा उदय सिंह ने अकबर के सामने युद्ध नहीं किया और वहा से चुप के से निकल गए और उदयपुर शहर की स्थापना की. वही दूसरी और जयमाल और पत्ता के नेतृत्व में राजपूतो ने बड़े साहस और वीरता से मोगलो से युद्ध किया और शहीद हो गए. इस तरह चित्तौड़गढ़ किला पूरी तरह से मुग़लों के हाथ लग गया.

 Chittorgarh in Hindi में हुए जौहर

कई सारी महारानीओं और वीरांगनाओ ने अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए इसी किले के अन्दर जौहर किया था ताकि वो वेशी दरिंदो के हाथ ना लगे.

1. रानी पद्मिनी – सन 1303

सबसे पहला जौहर सन 1303 में हुआ था जो दुनिया का सबसे बड़ा जौहर था. रानी पद्मिनी की सुंदरता की चाहत में अल्लाउदीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ किले पर आक्रमण कर दिया और इस युद्ध में रानी पद्मिनी के पति राणा रतन सिंह शहीद हो जाते है.

इस लिए रानी पद्मिनी और उनके साथ 16 हजार दसियों ने विजय स्तम्भ के पास ही जीवित अग्नि समाधी ले ली थी. भले ही अल्लाउदीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ पर विजय प्राप्त करली लेकिन रानी पद्मिनी को पाने की उनकी चाहत कभी भी पूरी नहीं हुई. 

2. रानी कर्णावती – सन 1535

एक बार फिर से चित्तौड़गढ़ पर दुश्मनों की काली नजर पड चुकी थी. इस बार गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण करके वहां की रानी यों और स्त्रियों को कब्ज़े में लेना चाहता था. उस वक्त महारानी कर्णावती ने दिल्ली के शासक हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी लेकिन जब तक हुमायूं मदद के लिए पहुँचता बहुत देर हो चुकी थी.

इसी लिए रानी कर्णावती ने 13000 रानियों और दसियो के साथ जौहर किया था. यह दूसरा जौहर था जब भारत की वीरांगनाओ ने अपनी आन-शान बचाने के लिए ज़िन्दा अपने शरीर को अग्नि को समर्पित किया था.

3. रानी फुलकंवर – सन 1567

हम सभी ने जोधा अकबर मूवी देखि है जिसमे अकबर को एक महान राजा बताया है लेकिन वो भी एक दरिंदा ही था जिसने कई हजारों स्त्रियों का बलात्कार करवाया था. एसा ही कुछ हुआ था सन 1567 में जब उसने चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था. उस वक्त पत्ता की पत्नी रानी फुलकंवर ने हजारों स्त्रियों के साथ जौहर किया था.

Chittorgarh in Hindi किले का सफ़र और प्रमुख रचना

चलिए अब जानते है चित्तौड़गढ़ की कुछ शानदार रचनाओं और वस्तुओ के बारे में.

1. चित्तौड़गढ़ किला

चित्तौड़गढ़ में यह किला गंभीर नदी के पास अरावली पर्वत पर भूमि से करीब 180 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. इस दुर्गा में कई तरह के ऐतिहासिक स्तम्भ और पवित्र मंदिर बने हुए है.

2. सात दरवाज़े 

इस विशाल किले में प्रवेश करने के लिए 7 दरवाज़े बने हुए है. इन 7 दरवाज़ों को पार करके ही आप अन्दर प्रवेश कर सकते हो. इन सात दरवाज़ों के नाम इस तरह से है. पेंडल पोल, गणेश पोल, लक्ष्मण पोल, भैरो पोल, जोरला पोल, हनुमान पोल और राम पोल. इन सभी दरवाज़ों के बाद मुख्य दरवाज़ा सूर्य पोल को भी पार करना पड़ता है. इसके बाद ही आप इस किले के अंदर प्रवेश कर सकते हो.

3. ऐतिहासिक संरचनाए

इस दुर्ग के परिसर में लगभग 65 ऐतिहासिक संरचना बनी हुई है जिनमे 19 मुख्य मंदिर, 4 महल परिसर, 4 ऐतिहासिक स्मारक और करीब 20 जल निकाय सामिल है.
इस विशालकाय किले के अन्दर रानी पद्मिनी का महल, खातान रानी का महल, गोरा बादल की घुमरे, राव रणमल की हवेली, कालिका माता मंदिर, सूर्यकुंड, पत्ता तथा जैमल की हवेलिया, जौहर स्थल जैसी कई तरह की ऐतिहासिक संरचनाए सामिल है.

4. विजय स्तंभ

इसी विशालकाय Chittorgarh in Hindi किले के अंदर विजय स्तंभ बना हुआ है जो इस किले के शौर्य का प्रतीक है. इस स्तंभ को महाराणा कुम्भा ने मालवा के सुल्तान महमूद शाह खिलजी को परास्त करने के जश्न में बनवाया था. इस स्तंभ की ऊंचाई करीब 38 मीटर है और इसको बनाने में लगभग 10 साल लग गए थे.

5. राना कुम्भा महल

राना कुम्भा का यह महल सबसे प्राचीन स्मारक में से एक है. इसकी मरम्मत महाराणा कुम्भा ने 13वि शताब्दी में की थी जिसके बाद इस महल को महाराणा कुम्भा महल के नाम से जाना जाता है. यह महल विजय स्तंभ के निकट में ही स्थित है. कहा जाता है की इसी महल के अन्दर महाराणा उदासिंह का जन्म हुआ था.

इसी महल के अंदर मीराबाई सहित कई प्रसिद्ध कवी रहते थे. इस महल में एक तय खाना है जिसमे एक सुरंग के माध्यम से गौमुख तक जाया जा सकता है. महारानी पद्मिनी ने भी इसी सुरंग से गौमुख कुंड में स्नान करके जौहर किया था.

6. महारानी पद्मिनी महल

चित्तौड़गढ़ किले में मौजूद यह महल बेहद ही आकर्षक है. यह महल Chittorgarh in Hindi किले के दक्षिण में एक सुन्दर सरोवर के पास स्थित है. इस महल में तीन मंज़िल है जिसके शीर्ष भाग को मंडप से सजाया गया है.

7. कुम्भश्याम का मंदिर

इस मंदिर की स्थापना महाराणा कुम्भा ने सन 1449 में की थी. यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार का मंदिर है. इसी कुम्भश्याम के मंदिर के प्रांगन में ही मीराबाई का मंदिर है. कुछ इतिहासकारों के अनुसार पहले यही मंदिर कुंभ श्याम मंदिर हुआ करता था लेकिन मुस्लिम आक्रमण से मूर्ति खंडित हो जाने के कारन नया कुंभ श्याम मंदिर बनाया गया, इस नए मंदिर को ही मीराबाई का मंदिर माना जाता है.

8. महासती (जौहर स्थान) स्थान)

महाराणा कुम्भा के कीर्तिस्तंभ के मध्य में एक विस्तृत मैदानी इलाक़ा है जो चारों तरफ से दीवारों से घिरा हुआ है. इसके अन्दर प्रवेश करने के लिए उत्तर और पूर्व में दो द्वार बने हुए है. इसी द्वार को महासती द्वार कहा जाता है. इस द्वार और कोट को महाराणा रावल समर सिंह ने बनवाया था.

इसी जगह पर बहादुर शाह के आक्रमण के वक्त महारानी कर्णावती ने 13000 स्त्रियों के साथ अपने सतीत्व की रक्षा के हेतु जौहर यानि की अग्नि दाह किया था. इस स्थान को महासती (जौहर स्थान) स्थान) कहा जाता है.

 Chittorgarh in Hindi किले के बारे में रोचक तथ्य

चलिए अब जानते है चित्तौड़गढ़ किले के बारे में कुछ रोचक और मजेदार तथ्यों के बारे में.

1. चित्तौडगढ किला भारत का सबसे बड़ा किला है जिसको यूनेस्को द्वारा World Heritage Site में सामिल किया गया है.

2. इस विशाल किले का निर्माण 7वि शताब्दी में मौर्यवंस के शासक चित्तरांगन मौरी ने 692 एकड में फैली पहाड़ी पर किया था.

3. चित्तौडगढ किले पर मौजूद दुर्ग परिसर में कई सारे जलाशय मौजूद है. एसा माना जाता है की पहले यहाँ पर 84 जलाशय थे लेकिन अब केवल 22 ही बचे है.

4. चित्तौडगढ किले में कई सारे मंदिर मौजूद है जिनमे, कलिका मंदिर, जैन मंदिर, गणेश मंदिर, सम्मिदेश्वर मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और कुम्भ श्याम मंदिर जैसे कई सारे प्राचीन मंदिर मौजूद है.

5. इस किले को लेकर एक किवदंति यह भी है की इस विशालकाय किले का निर्माण द्वापर युग में कुंती पुत्र भीम ने एक ही रात में किया था.

6. Chittorgarh in Hindi किले में प्राचीन समय में 1 लाख से भी ज्यादा लोग रहते थे.

7. इस महान किले को महिलाओ का प्रमुख जौहर स्थान भी माना जाता है.

8. इस विशाल किले में बनाए गए सभी सात दरवाज़ों के नाम के लिए अपने अलग-अलग क़िस्से है.

9. पाडन पोल इस किले का प्रथम द्वार है. कहा जाता है की भीषण युद्ध के कारन एक पाडा यानि की भेषा लहूलुहान हालत में यहाँ तक आ पहुंचा था. इसी वजह से इस द्वार का नाम पाडन पोल रखा.

10. भैरव पोल दूसरा दरवाज़ा है जिसको देसुरी के सोलंकी भैरोंदास के नाम पर से रखा गया है. भैरोंदास गुजरात के बहादुर शाह से युद्ध करते समय वीर गति को प्राप्त हुए थे.

11. तीसरे द्वार का नाम है हनुमान पोल जो पास में रहें हनुमान मंदिर के नाम से रखा गया है.

12. इसी तरह चौथे दरवाज़े का नाम गणेश पोल है जो भी गणपति के मंदिर के नाम से रखा गया है. इस द्वार के पास ही भगवान गणेश का मंदिर है.

13. जोडला पोल दुर्ग का पांचवा द्वार है जो 5वे और छठे द्वार को आपस में जोड़ता है, इसी वजह से इस द्वार का नाम जोडला पोल रखा गया.

14. दुर्ग के छठे द्वार के पास ही लक्ष्मणजी का मंदिर है जिसके कारन इस द्वार का नाम लक्ष्मण पोल रखा गया.

15. लक्ष्मण पोल से आगे जाने के बाद किले का सातवाँ दरवाज़ा आता है जहाँ राम का मंदिर है, इसी वजह से इस द्वार का नाम राम पोल रखा गया.

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