सेंटिनल और जारवा जाती के दोनों अलग अलग हे लेकिन दोनो ही आदिवासी भारत के अंडमान द्वीप में रहते हे. इन लोगो को बाहरी दुनिया से कोई भी लेना देना नहीं हे. इनमें सेंटिनल जाती के आदिवासी बेहद ही खतरनाक हे और आज भी पुरानी सभ्यता के साथ ही जीवन जी रहे हे जबकि जारवा जाती के आदिवासी में फ़िलहाल थोड़ा बहुत सुधार आया हे लेकिन फिर भी वो भी पूरी तरह से जंगली ही हे और खतरनाक भी हे.
बताया जाता हे की अगर उनके इलाके में कोई भी प्रवेश करता हे तो वो लोग उनका स्वागत तीर कमांड से करते हे चाहे वो लोग उनकी मदद के लिए आए हो तभी भी वो लोग बिना कुछ सोचे समझे हमला करते हे.
सभ्यता और रीती रिवाज
चलिए अब जानते हे इन लोगों के अजीबो ग़रीब रीति रिवाज़ों के बारे में. सेंटिनल जाती के लोग लाल रंग को ज्यादा पसंद करते हे और वे लोग भूतो की पूजा भी करते हे और उनपर यकीन भी करते हे. इसके अलावा वो लोग हिरण का शिकार कभी भी नहीं करते हे और उनको खाते भी नहीं सायद वो हिरण को पवित्र मानते हे .
जारवा जाती में बच्चों के बालिक होने पर इसका नाम बदला जाता हे और इसके लिए अजीब सा रिवाज हे, जो भी बच्चे का नाम बदलने का होता हे इस बच्चे को सूअर का शिकार करके गांव के सभी लोगों को खिलाना होता हे जबकि लड़कियों को मिट्टी, सूअर के तेल और गोंद का तिलक लगाने के बाद उनका नाम बदला जाता हे. हे ना अजीब सा रिवाज.
जॉन एलेन चाऊ की हत्या
16 नवंबर 2018 को जॉन एलेन की हत्या का मामला सामने आया था और इस वजह से यह द्वीप एक बार फिर से लोगो के सामने चर्चा में आया था. चलिए जानते हे की क्या हुआ था.
दरअसल बात 14 नवंबर की हे जब जॉन ने सेंटिनल द्वीप में घुस ने की कोसिस की थी लेकिन वो कामयाब नहीं हुआ और इस वजह से उसने ठीक 2 दिन बाद फिर से वहा जाने की कोसिस की पर इस बार वो कुछ माछिमार को लेकर गया था. जॉन ने द्वीप से थोड़े दूर अपनी नाव रोक दी और वहा से चल कर द्वीप में घुस गया.
जैसे ही उसने वहा कदम रखा सेंटीनेलिस समुदाय के आदिवासियो ने उन पर तीर कमांड से हमला कर दिया और वही मार गिराया. इसके बाद उनके शव को वो लोग रस्सी से खींचकर ले गए और समुद्र के तट पर गड्डा खोद कर दफ़ना दिया. यह द्रश्य देखकर मछवारे वहा से भाग गए.
सेंटिनल आदिवासी के बारे में रोचक तथ्य
üसेंटिनल जाती के लोग 60000 बर्ष से सेंटिनल द्वीप में रहते हे और आज भी वो पुरानी सभ्यता के साथ ही जीवन जी रहे हे.
üसेंटिनल के लोग को खेती के बारे में भी कुछ पता नहीं हे और वो लोग खेती भी नहीं करते हे नातो जानवर पालते हे.
üयह लोग फल, शहद, कंदमूल, सूअर, कछुए और मछली का भोजन करते हे.
üइस जाती के लोगो ने आज तक आग को भी देखा नहीं हे और उनको पता भी नहीं हे की आग क्या होती हे.
üसेंटिनल जाती के लोग ने आजतक नमक और सक्कर का सेवन नहीं किया हे.
üइन समूह का कोई भी मुखिया नहीं होता हे लेकिन तीर-कमांड, जोपडी, टोकरी, और भाला बनाने वाले को सम्मान दिया जाता हे.
üयहाँ के लोग अपने बच्चे को तभी से तीर कमांड की शिक्षा देते हे जब वो अपने पेरो पर चलने के काबिल हो जाते हे.
üइस जाती एक बहुत ही विचित्र प्रथा हे की अगर किसी की मृत्यु जोपडी में हो जाती हे तो इस जोपडी में कोई भी रहने नहीं जाता हे.
üयह लोग बीमार होने पर सिर्फ जड़ी बुट्टी और पूजा पाठ पर ही निर्भर रहते हे.
üसेंटिनल जाती के लोग भूत प्रेत में यकीन करते हे और उनकी पूजा भी करते हे.
जारवा आदिवासी के बारे में रोचक तथ्य
üजारवा जाती के आदिवासी 5000सालोंसे अंडमान द्वीप में रहते हे.
üइस जाती के बारे में पहली बार सन 1990में पता चला था. तब तक यह जाती पूरी दुनिया के लिए अनजान थी.
üइस जाती के लोग भी तीर कमांड की मदद से शिकार कर के अपना पेट भरते हे. साथ ही यह लोग शहद को पसंदीदा भोजन मानते हे.
üफ़िलहाल इस जारवा जाती की संख्या 400के करीब होने का अंदाजा लगाया जाता हे.
üजारवा जाती के यह आदिवासी अंडमान द्वीप में दक्षिण और मध्य द्वीप में रहते हे.
üयहाँ के स्त्री और पुरुष नग्न ही रहते हे. हांलाकि कभी कभी वो लोग अपने शरीर को आभूषण और पत्तो की मदद से ढंकते हे .
üजारवा जाती के आदिवासी कद में छोटे और रंग में काले होते हे.
üअगर इनके बच्चे का रंग थोडा भी गोरा हो तो वहा के लोग यह समझते हे की उनका पिता किसी दूसरे समुदाय के हे और उनकी हत्या कर देते हे.
üपुलिस की उनके मामले में दखल करने की इजाज़त नहीं हे .
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