यह पक्षी की प्रजाति लुप्त हो रही हे यह बात सबसे पहले सन 1980 में पता चली और इसके बाद मध्यप्रदेश की सरकार ने सन 1983 में रतलामऔर सेलाम में इस पक्षी को बचाने के लिए अभ्यारण बनाया लेकिन इसके बावजूद भी इस पक्षी की संख्या में कोई बढोती नहीं हुई बल्कि घटती रही.
तब सरकार ने उसका कारन जाना की अभ्यारण के आसपास रहने वाले गाँव वासी इस पक्षी का शिकार करते थे और साथ ही इसके अंडे भी नष्ट कर देते थे. क्योंकि अभ्यारण बनने के लिए सरकार ने वहा के खेडूतो की जमिन छिन ली थी और अभ्यारण में सामिल करली थी. इसी वजह से वो लोग इसका क़त्ल कर रहे थे ताकि अभ्यारण बन्ध हो जाए और सरकार उनकी जमिन वापस कर दे. बल्कि सारी बात जानकर भी सरकार ने उन लोगो की ज़मीन वापस नहीं की और इसकी वजह से गाँव के लोगो ने खरमोर का क़त्ल चालू ही रखा.
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