Lesser Florican in Hindi – खरमोर पक्षी के बारे में जानकारी

Lesser Florican in Hindi | खरमोर पक्षी के बारे में रोचक तथ्य

दोस्तों हमारे आसपास बहुत सारे प्राणी और पक्षियों हे लेकिन ऐसे बहुत सारे जीव हे जिसके बारे में हम लोग नहीं जानते. खासकर ऐसे पक्षी, जिसकी प्रजाति कम हो रही हे और बाद में सरकार एसी प्रजाति को बचाने के लिए जागृत होते है. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती हे. आज में आपको एक ऐसे ही पक्षी के बारे में बताने जा रहा हु जिसकी प्रजाति लगभग विलुप्त ही हो गई हे.

आर्टिकल की और आगे बढ़ने से पहले जानते है आज के आर्टिकल के खास मुद्दों के बारे में.

Lesser Florican Facts की खास बाते:

Lesser Florican Facts, Bengal Florican Fact,खरमोर पक्षी के बारे में रोचक जानकारी
Lesser Florican

 

  • कहां से आते हैं और कहां जाते हैं खरमोर
  • अभ्यारण क्यों और कब बना 
  • खरमोर का अंत

चलिए जानते हे विस्तार से इसके बारे में

कहां से आते हैं और कहां जाते हैं खरमोर

अंग्रेजी में Lesser Florican और हिंदी में खरमोरके नाम से जाने जाने वाला पक्षी भारत और पाकिस्तान में पाया जाता हे. यह घोराड पक्षीओ की प्रजाति का है. इसके शरीर का रंग हल्का सा काला होता है. वही उसकी पंख सफ़ेद, चोंच और पाँव पिले रंग के होते है. इसके मस्तिष्क पर मोर की तरह ही कलगी होती हे. 

खरमोर पक्षी की ऊंचाई 50 सेंटीमीटर के आसपास होती हे. यह पक्षी भारत में ज्यादातर मध्यप्रदेश के रतलाम और सेलाम में अक्टूबर और नवम्बर में पाए जाते है. वैसे तो खरमोर दक्षिण के आसपास रहते हे लेकिन जुलाई ख़त्म होने के बाद यह रतलाम और सेलाम में प्र्जोप्ती के लिए आते है. क्योंकि यहाँ का वातावरण खरमोर को बहुत ही अच्छा लगता हे और नवम्बर ख़त्म होने के बाद यह पक्षी अपने बच्चों सहित वापिस अपने घर चले जाते हे.
 
अभ्यारण क्यों और कब बना 

यह पक्षी की प्रजाति लुप्त हो रही हे यह बात सबसे पहले सन 1980 में पता चली और इसके बाद मध्यप्रदेश की सरकार ने सन 1983 में रतलामऔर सेलाम में इस पक्षी को बचाने के लिए अभ्यारण बनाया लेकिन इसके बावजूद भी इस पक्षी की संख्या में कोई बढोती नहीं हुई बल्कि घटती रही. 

तब सरकार ने उसका कारन जाना की अभ्यारण के आसपास रहने वाले गाँव वासी इस पक्षी का शिकार करते थे और साथ ही इसके अंडे भी नष्ट कर देते थे. क्योंकि अभ्यारण बनने के लिए सरकार ने वहा के खेडूतो की जमिन छिन ली थी और अभ्यारण में सामिल करली थी. इसी वजह से वो लोग इसका क़त्ल कर रहे थे ताकि अभ्यारण बन्ध हो जाए और सरकार उनकी जमिन वापस कर दे. बल्कि सारी बात जानकर भी सरकार ने उन लोगो की ज़मीन वापस नहीं की और इसकी वजह से गाँव के लोगो ने खरमोर का क़त्ल चालू ही रखा.

खरमोर का अंत
इस तरह से बार बार क़त्ल होने की वजह से सन 2004 तक सिर्फ 9 खरमोर पक्षी ही बचे थे और इसकी वजह से वन विभाग ने एसी बात रखी की जो भी लोग खरमोर पक्षी के अंडे को बचाकर वन विभाग को वापस करगे उनको 5000 का इनाम दिया जायेगा. इसकी वजह से फिर से खरमोर पक्षी की बढोती शुरु हो गई. साथी ही सरकार ने वहा के खेडूतो की ज़मीन भी वापस करदी थी और इसकी वजह से वहा पर भी पक्षी की जन संख्या में बढोती हुई थी.
एक शताब्दी पहले तक खरमोर पुरे भारत में पाए जाते थे. घास के मैदान पे ही रहने वाले इस पक्षी की संख्या अब फिर से कम हो रही है.
दोस्तों, आपको Lesser Florican Facts – Bengal Florican Facts – खरमोर पक्षी के बारे में रोचक जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ इसे जरुर शेर करे.


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