Natural Disasters by human | इंसानों ने ये क्या किया? | भयंकर प्राकुतिक आपदा

Natural Disasters by human | इंसानों ने ये क्या किया?  | इन्सानों द्वारा आई भयंकर प्राकुतिक आपदा

इंसानों ने ये क्या किया? | भयंकर प्राकुतिक आपदा

हमारी धरती पर भगवान ने बहुत सारे जीव और वनस्पतिओ को बनाया और सभी ने अपने आपको प्राकृतिक के अनुसार ढाल भी लिया लेकिन इस विकास में सबसे बड़ी भूल मानव की रचना थी. यह बात हमको बार-बार सोचने के लिए मजबूर भी करती है की क्या हम इन्सान इस धरती पर रहेने के लिए योग्य है? क्या हम धरती पर रहेने के लायक है? यह बात सभी को चकित जरुर करेगी लेकिन जब आप इस आर्टिकल को पूरा पढेगे तब सायद आप भी कहोगे की सच में भगवान ने इन्सानों को धरती पर लाकर ग़लती करदी.

चलिए नजर डालते है एसा क्या किया है इंसानों ने की धरती पर रहने के लिए लायक है या नहीं ये सवाल उठाने की नोबत आ गई. प्राकुतिक पर इंसानों द्वारा किए गए अत्याचार पर एक नजर डालते है.

Natural Disasters by human | भयंकर प्राकुतिक आपदा

  • जबसे डायनासोर का अंत हुआ और इन्सानों का जन्म हुआ तब से इन्सानों ने आधुनिकता के लिए पूरी धरती को तहस महस कर दिया है और पिछले 200 सालों में तो हम ने हद ही करदी है तो बहुत पीछे जाने की बजे 18 वि सदी से ही बात शुरू करते है.अगर आप ने डायनासोर का अंत और इन्सानों का जन्म आर्टिकल नहीं पढ़ा है तो यहाँ से पढ़ सकते हो.
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  • 18 वि सदी से इन्सान विकास के लिए पागल हो गया और वही से शुरू हुआ प्राकुतिक पर अत्याचार. 18वि सदी में इन्सानों ने आधुनिकरन की शुरआत की और सिर्फ 250 सालों में पृथ्वी को प्रदूषित करके रख दिया है. ये 250 सालो में पृथ्वी पर से कई सारे पक्षिओ की प्रजाति, प्राणियो की प्रजाति और यहाँ तक की कई सारे पेड-पौधे भी पूरी तरह से नस्ट हो चुके है. जिस तरह से प्राकुतिक पर इन्सानों द्वारा तबाही मचाई हुई है अगर एसा ही चलता रहा तो आने वाले 500 सालो में ही पृथ्वी पर जीवन गुजरना भी काफी मुश्किल हो जाएगा.
  • औद्योगिक क्रांति की वजह से बहुत सारे बदलाव आए. मजदूरो की जगह मशीनों ने ले ली. एसो-आराम जिन्दगी का एक हिस्सा बन गया. इसकी बहोत भी बड़ी कीमत हमारी धरती को चुकानी पड़ी है. औधोगीकरण से पिछले 250 साल से आजतक 83 किस्म के (Mammals) स्तनधारी जिव, 113 प्रकार के (Birds) पक्षी, 23 प्रकार के (Amphibians) उभयचर जिव, 25 किस्म की मछलियों की प्रजाति, 100 तरह के (Invertebrates) बिना रीढ़ के जिव और 350 से भी ज्यादा (Plants) पौधों की प्रजातिया धरती पर से पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है. यह पढ़े दुनिया के कुछ विलुप्त पक्षी
  • जब से विकास की प्रकिया शुरू हुई है तब से पूरी धरती का तापमान (temperature) 1 डिग्री बढ़ चुका है यह पढने में तो बहुत ही कम लगता है लेकिन इस तरह अगर 5 से 6 डिग्री तापमान नीचे गिर गया तो हमारी पृथ्वी फिर से हिमयुग में चली जाएगी यानि की बर्फीली बन जाएगी. यह 1 डिग्री तापमान की वजह से हमारे Ocean गर्म होने शुरू हो गए है. Ice बनना बंध हो चुकी है. दुनिया का सबसे बड़ा बर्फीला क्षेत्र ग्रीन लैंड पिगलने लगा है.
  • अब आप खुद ही सोचो की इन्सानों द्वारा की गई कोई भी शोध या आविष्कार Eco Friendlily है? एक भी नहीं. लगभग 99 प्रतिसद जो भी आविष्कार हुए वो सभी से हमारी धरती पर खतरा बढ़ता ही गया है और आगे भी बढ़ता जाएगा.
  • क्या रेल के आविष्कार ने प्रकृति को सहाय की है? नहीं बिलकुल नहीं, बल्कि Global warming को सहायता की है. क्या कच्चे तेल से धरती को कोई फायदा हुआ? भले ही इसकी बदोलत हम इन्सानों का जीवन आशान हो गया हो लेकिन ये हे तो एक अभिशाप की ही तरह.
  • क्या प्लास्टिक, air conditioner, Refrigerator, Detergent या Mobile Phone का अविष्कार का nature में कोई योगदान है? बिलकुल नहीं. air Conditioner और फ्रीज से निकल ने वाली HFC गेस हमारे ओजोन स्तर को नस्ट कर रही है.
  • Shale phones  की वजह से पूरी दुनिया में रेडिएशन फ़ैल चूका है जिसकी वजह से मधुमख्खिया और पक्षियों की कई प्रजातिया लगभग खत्म होने पर आ गई है. Sparrow (चिड़िया) पक्षी का नाम तो अभी से विलुप्त हो ने वाली प्रजाति में डाल दिया गया है.
  • Detergent और Tooth Paste जैसी चीजे भी हमारे साथ-साथ इस पर्यावरण को भी नुकसान पहोचा रही है. आज पूरी दुनिया में Face wash का बहोत ही इस्तमाल किया जा रहा है. क्या आपको पता है इसको बनाने के लिए प्लास्टिक का इस्तमाल किया जा रहा है, और प्लास्टिक से कोन गोरा बनता है? Detergent, Tooth Paste और Face wash ये सभी में Microbeads Plastic का इस्तमाल किया जा रहा है. दुनिया के कई सारे देशो में इस पर बेन लगाया गया है पर भारत में ये आज भी बिना रूकावट चल रहा है. ये Microbeads हमारी गटर लाइन से बहेते हुए समुद्र में चले जाते है और समुद्री जीवो को भी नुकसान पहोचाता है.
  • बिजली का आविष्कार भी हमने प्रयावरण को नुकसान पंहुचाकर ही किया है. शुरुआती दौर में बिजली कोयले से बनाई जाती थी फिर जैसे-जैसे इसकी Demand बढती गई वैसे वैसे हमने बिना वजह बड़े-बड़े डैम बनाने शुरू कर दिए जिसकी बदोलत पर्यावरण पर इसका भयंकर असर पड़ा है. इसकी बदोलत कई सारे जलीय प्राणी विलुप्ति की और बढ़ रहे है. वैज्ञानिक भी इस बात को मानते है की इतने सारे डैम बानाने के कारन Future में मानवजाति को इसका बहोत ही बड़ा परिणाम भुगतना होगा.

    क्या होगा अगर भारत का सबसे बड़ा डैम टूट जाए?

  • इन्सानों ने जब से धरती पर कदम रखा है तब से हम इन्सानों ने सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण की हानी ही की है. हमारी ही वजह से तस्मानियाँ टाइगर जैसे कई सारे जानवर विलुप्त हो चुके है.
  • धरती का तापमान हम 1 डिग्री बढ़ा चुके है, नदी को हमने नालो में परिवर्तित कर दिया है. Global warming के भी पुरे के पुरे जिम्मेदार हम इन्सान ही है.
  • पूरी दुनिया में समुद्र का स्तर हमारे ही कारन बढ़ गया है. अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड जैसी बर्फ की चादर को सूरज की रौशनी लाखो सालो में पिगला नहीं पाई इसको हमने मात्र 250 सालो में पिगलाना शुरू कर दिया है.
  • हमारी वजह से पूरा समुद्र प्लास्टिक के कचरे से भर गया है. रोजाना लाखो की संख्या में समुद्री जिव मरते जा रहे है. हम इंसान यहाँ ही नहीं रुके. जैसे की हम लोगो ने कसम खा रखी है की धरती को तो गन्दा करेगे ही साथ में दुसरे ग्रह को भी नहीं छोड़ेगे इसी विचार से अतरिक्ष को भी गन्दा कर दिया है.
  • खेतो में Fertilizer का इस्तमाल करके धरती की गुणवत्ता शक्ति को तो हमने नस्ट कर ही दिया है. इन दवाओ के कारन कई सारे सूक्ष्म जिव मर चुके है.  इस प्रकिया से खेती करने की वजह से हर साल अरबो पक्षोंओ अपनी जान गवा रहे है. जिसके जिम्मेदार हम इन्सान ही है.
  • यह तो बात है सिर्फ पिछले 250 सालो से आज तक की. जिस तरह से हम आधुनिकरण के पीछे भाग रहे है इससे यह बात तो बिलकुल पक्की है की अब इन्सानों का अंत बहोत ही निकट आ चूका है  जिसके जिम्मेदार भी हम खुद ही होगे और इसकी भरपाई करने के लिए हमारे पास कोई भी रास्ता भी नहीं बचेगा.
  • वैज्ञानिको ने यह चेतावनी जारी करदी है की हम इसी तरह से पर्यावरण के साथ खेलते रहे, उसको नुकसान पहोचाते रहे तो तो यह समय दूर नहीं है जब अंटार्कटिका और ग्रीनलैंड के बर्फीले क्षेत्र का बर्फ जो हमको पिने लायक पानी देता है वो बर्फ पानी बनकर समुद्र में मिल जाएगा.
  • यह सब बाते सुनकर और देखकर सच में एसा लगता है की क्या सच में हम इन्सान इस धरती के ही है या किसी और ग्रह से आ टपके है? आखिर हम लोग कर क्या रहे है? क्या हम जीना नहीं चाहते है? हमारे जीने के तरीके से तो यही लगता है की भगवान ने हमको इसी लिए बनाया है की हम जितना चाहे इतना इस धरती को नुकसान पंहुचा सके.
  • यह बात हम सभी को आज से ही सोचनी चाहिए है की हम इस धरती पर क्यों है? क्यों भगवान ने हम इन्सान को सभी जीवो से शक्तिशाली और बुद्धिमान बनाया? क्या इसी लिए की हम दुसरे जीवो के अंत का कारन बने? क्या हम इस धरती का रक्षक बनाना चाहते है या भक्षक? क्या सच में धरती अंत के करीब जा रही है? यह बात हम को खुद ही सोचनी है. इससे ज्यादा कुछ और नहीं लिख सकता.
  • इसी लिए आप सभी से request है जो भी इस आर्टिकल को पढ़ रहा है वो सब कम से कम 1 पौधा जरुर उगाए और साथ ही अपने दोस्तों और फॅमिली को भी एसा करने के लिए जरुर कहे. 10-20 रूपये का पौधा हमको और हमारी आने वाली पेढ़ी को कल एक विशाल वृक्ष बनकर Global warming से बचाएगा.
  • दोस्तों, Natural Disasters by human | इंसानों ने ये क्या किया? | भयंकर प्राकुतिक आपदा आर्टिकल को सिर्फ एक आर्टिकल ही ना समजो बल्कि हकीकत समजो जो भविष्य में आफत बनकर कुदरत का कहेर बनकर हम पर टूट ने वाली है. कृपया इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा share करे ताकि सभी लोग यह बात जान सके की आखिर हम इन्सान  इस धरती पर कर क्या रहे है? अगर मेरी बात से सहेमत हो तो ज्यादा से ज्यादा इस आर्टिकल को share करना.

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