करीब 112 मिलियन साल पहले सारकोसुकस(Sarcosuchus) नाम के यह मगरमच्छ की प्रजाति हुआ करती थी, जिनकी लम्बाई करीब 12 मीटर यानि की 40 फीट के आसपास हुआ करती थी. यह Crocodiles की प्रजातिआज तक की सबसे बडी मगरमच्छ की प्रजाति थी. इस जीव के मिले अवशेष से पता चलता हैं की बाकी मगरमच्छ की तरह इस जीव में भी कमाल की काट ने की क्षमता थी. इसके Bite की ताकत 9 टन थी जोकि आज के मगरमच्छ की तुलना मे कई गुना अधिक हैं. इस का वजन 7 से 8 टन का था.
इन विशालकाय जीवों की दूरबीन जैसी आंखे थी और वे रात को भी अपने शिकार को आसानी से देख सकते थे. इस विशाल दानव के उपर के जबड़े में 35 दांत थे जबकि निचे के जबड़े में 31 दांत थे. इतने बड़े जबड़े वाले इस दानव की पकड़ में इतनी मज़बूती हुआ करती थी की यह जानवर इन्सान की 130 हड्डीया एक साथ कुचल सकता था. फंसे हुए शिकार का इसके चंगुल से निकल कर बचना नामुमकिन था. इस के अलावा इस जानवर की पुंछ भी इतनी विशाल थी की पानी में प्रवेश करने वाले किसी भी जीव को एक ही वार से घायल कर सकती थी. Geologist के मुताबिक यह जानवर आज के मगरमच्छ से काफी मिलता जुलता हैं लेकिन इसकी बनावट आजके घड़ियाल से बिलकुल भी अलग हैं.
Sarcosuchus Food
इस Super Croc की डाइट को लेकर कई सारे मत हैं लेकिन मिले हुए आवेश से पता चलता हैं की यह विशाल मगरमच्छ Dinosaurकी कई सारी प्रजातियो को खाता था. लेकिन कम उम्र में मछलियों को अपना भोजन बनाकर गुजारा करता था और उम्र बढ़ने के साथ ही डायनासोर को अपने आहार में शामिल कर लेते थे. शोधकर्ताओ के मुताबिक यह Super Crocपानी से बहार निकल कर Dinosaurका शिकार करता था.
शोधकर्ताओ के मुताबिक एक बड़े और विकसित Super Crocमें बड़े थेरोपोड डायनासोर की गरदन को तोड़ ने की क्षमता होती थी. Dinosaur का शिकार करने से हम इनकी ताकत का अंदाजा लगा सकते हैं की यह कितनी खतरनाक प्रजाति रही होगी.
Classification
यह जीव ताजे पानी, नदी, झीलों पर रहते थे. यह जीव किसी भी मगरमच्छ से Directly जुड़े हुए नहीं हैं लेकिन आधुनिक मगरमच्छ घड़ियाल इसके दूर के पूर्वज हैं. जिनसे कई सारी विशेषताओं में यह मेल खाता हैं फिर भी किसी भी मगरमच्छ का आकार इतना विशालकाय नहीं हैं. इसका कारन समय और जल में आए बदलाव को माना जाता हैं.
पहली बार कब मिला
भले ही इस 112 मिलियन साल पहले इस जीव का धरती पर से नाम-निशान मिट चूका हो लेकिन इस जीव से मिले अध्ययन में शोधकर्ता हमेशा ही रूचि रखते हैं. पहली बार इस जीव के बारे में सन 1950 में पता चला जब अलबर्ट फिलिक्स नाम के फ्रेच शोधकर्ता को सहारा के रन में इसके सिर, दांत जैसे कई नमूने हाथ लगे. इससे यह बात सामने आई की यह जीव उत्तरी आफ्रीका के इलाकों में रहा करते थे जहाँ आज सहारा रन पाया जाता हैं. उस समय यह इलाक़ो में घने जंगल हुआ करते थे और यह जानवर इसी तरह के वातावरण में ही रहना पसंद करते थे.
रिसर्च में चौक ने वाली बात सामने आई की यह जीव अपनी उम्र के साथ बढ़ताही जा रहा था जब तक मर न जाए. यह भयानक जीव असल में कैसा दीखता होगा इसकी तो हम सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं. सदीओ पहले हुए जलवायु परिवर्तन में डायनासोर के साथ इस जीव का भी अस्तित्व मिट गया था.
लेकिन क्या आपने सोचा हैं अगर जलवायु परिवर्तन के समय इस जीव ने अपने आपको समय के बदलाव में ढाल दिया होता तो यह जीव आज हमारे सामने होता. अगर सच में यह दानव आज हमारे सामने होता तो क्या होता?, मानव जीवन के लिए यह दानव कितना खतरनाक होता इसकी कल्पना करना बेहद मुश्किल हैं.
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Sar bahut acchi lagi kya aapane kabhi khane ke nuksan aur fayde ke bare mein likha hai
Thanks for your comment.
नहीं अभी तक तो मैंने नहीं लिखा है, हा पर मैंने हेल्थ से जुडी कई सारी पोस्ट डाली हुई है.